बॉलिवुड का हिस्सा बनने वाले स्टार किड्स की फेहरिस्त में अब एक और नाम जुड़ने जा रहा है। यह नाम है, ऐक्टर जावेद जाफरी के बेटे का। मीजान संजय लीला भंसाली के बैनर तले बनी फिल्म '' से फिल्म इंडस्ट्री में कदम रख रहे हैं। पेश है उनसे यह खास बातचीत: बॉलिवुड में अक्सर न्यूकमर्स को लॉन्च करने के लिए लव स्टोरी का सहारा लिया जाता है। आपको लगता है कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह एक सेफ ऑप्शन होता है?नहीं, मुझे लगता है कि प्यार एक ऐसा इमोशन है, जिससे सब जुड़ाव महसूस करते हैं, सब उसे समझते हैं। जैसे, अगर एक ऐक्शन फिल्म है, तो उसकी ऑडियंस सीमित होती है। मेरे हिसाब से ऐक्शन फिल्म से हर कोई रिलेट नहीं करता, लेकिन रोमांटिक फिल्म से एक बच्चा भी रिलेट कर सकता है, एक बूढ़ा भी रिलेट कर सकता है। मैंने कुछ समय पहले शाहरुख खान सर का एक इंटरव्यू देखा था, जिसमें वह बता रहे थे कि यश चोपड़ा सर ने उनसे कहा था कि शाहरुख तुम हमेशा रोमांटिक हीरो रहना, क्योंकि रोमांस कभी मरता नहीं है। मुझे लगता है कि एक न्यूकमर के लिए यह अच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा लोग उससे रिलेट करें, फिर बाद में आप जो चाहे करें। आप खुद फिल्मी फैमिली से हैं, क्या ऐक्टर बनने की यही वजह रही? ऐक्टिंग की ओर रुझान कब और कैसे हुआ?जी, चूंकि मैं सिनेमा के इर्द-गिर्द ही बड़ा हुआ हूं, तो कब ये मेरे अंदर बैठ गया, मुझे पता भी नहीं चला। हालांकि, पहले मुझे ऐक्टर नहीं बनना था। मुझे म्यूजिक या स्पोर्ट्स में कुछ करना था। फिर, एक दिन (फिल्म मलाल की हीरोइन और संजय लीला भंसाली की भांजी) की वजह से मेरी संजय सर से मुलाकात हुई। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें ऐक्टर बनना चाहिए। तब तक वह नहीं जानते थे कि मैं कौन हूं, मेरा बैकग्राउंड क्या है। फिर, उन्होंने मेरे बारे में पूछा, तो मैंने बताया कि मेरे पिता जावेद जाफरी हैं, लेकिन जब उन्होंने मुझे ऐक्टर बनने की सलाह दी, तब तक उन्हें पता नहीं था। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा कि संजय सर जैसे डायरेक्टर मुझमें यकीन दिखा रहे हैं, बिना मेरा बैकग्राउंड जाने। संजय सर की वजह से ही मैं ऐक्टर बना। फिल्म में आप एक टपोरी किस्म के लड़के का किरदार निभा रहे हैं। इस रोल के लिए कैसे तैयारी की?हमने 2 साल तक वर्कशॉप की हैं। फिल्म में मेरा जो किरदार है, वह चॉल में रहने वाला मराठी लड़का है, तो मेरे बैकग्राउंड से यह काफी अलग है। इसीलिए, मेरे लिए इसमें घुसना काफी मुश्किल था, लेकिन हमारे डायरेक्टर खुद मराठी हैं, तो उन्होंने मुझे मराठी सिखाई। मैंने पहले मराठी सीखी, फिर हिंदी को मराठी ऐक्सेंट में बोलना सीखा। फिर, हम चॉल में गए, वहां का रहन-सहन देखा, उनकी दिक्कतें क्या होती हैं, वह देखा। इसके बाद मैंने चॉलवालों से मराठी में बात करना शुरू किया। जब उनको यह लगा कि मैं महाराष्ट्रियन हूं, तो मुझे लगा कि अब काम हो गया है। इधर इंडस्ट्री में नेपोटिजम को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है। आपको लगता है कि आपको भी फिल्मी फैमिली से होने के कारण यह फिल्म थाल में सजाकर मिल गई?देखिए, मैं यब नहीं कहूंगा कि नेपोटिजम जैसी चीज नहीं होती है। निश्चित तौर पर एक नॉर्मल इंसान, जिसका इंडस्ट्री में कोई कनेक्शन नहीं है, उसे काम ढूंढने के लिए दोगुना-तीन गुना मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन मुझे लगता है कि नेपोटिज्म दुनिया के सारे फील्ड्स में है। अक्सर एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर ही बनता है। वह भी नेपोटिज्म है। अगर मेरा कोई दोस्त अपने फादर का बिजनस संभाल रहा है, तो वह भी नेपोटिजम है, लेकिन अभी क्या हो गया है कि नेपोटिजम का एक हौव्वा बन गया है, क्योंकि इंडस्ट्री के कुछ लोगों ने यह मुद्दा उठाया। मेरा मानना है कि नेपोटिजम है, लेकिन अंत में मुझे ही खुद को प्रूव करना पड़ेगा। वरना, काफी सारे नेपोटिजम के प्रॉडक्ट आए हैं और चले गए हैं। आखिर में ऑडियंस मेरी परफॉर्मेंस के आधार पर यह तय करेगी कि वे मुझे देखना चाहते हैं या नहीं। आपके पापा बेहतरीन डांसर रहे हैं, तो डांस को लेकर कुछ प्रेशर था?बिलकुल, क्योंकि जाहिर सी बात है कि लोग तो कंपेयर करेंगे ही कि इसके फादर इतने बड़े डांसर हैं, क्या यह डांस कर पाएगा? इसलिए प्रेशर तो था ही, लेकिन मुझे लगता है कि मेरे गाने में मैंने अच्छा डांस किया है। मेरे पिता जी को भी वह अच्छा लगा। आप संजय लीला भंसाली के असिस्टेंट भी रहे हैं। आपको उनसे और अपने पिता से क्या सलाह मिली?मेरे पापा हमेशा यही कहते हैं कि बेटा, हमेशा झुककर रहना, अपनी जड़ों से जुड़कर रहना। उनकी एक ही सलाह होती है कि लोगों के साथ अच्छा रहना। आप और जी कहकर बात करना। कल बड़े स्टार भी बन जाओ, तो ऐटिट्यूट दिखाने की जरूरत नहीं है। वहीं, संजय सर से तो मैंने बहुत कुछ सीखा है। वह मेरे ऐक्टिंग स्कूल हैं। उनको मैं वन मैन आर्मी मानता हूं। वह सबकुछ खुद कर लेते हैं। मैं जो फिल्म स्कूल वगैरह गया था, उससे ज्यादा तो मैंने उनसे 'पद्मावत' के सेट पर सीख लिया। 'पद्मावत' के सेट पर वह मेरे साथ सीन की रिहर्सल करते थे। वह मुझे मॉनिटर पर दिखाते थे कि एक्सप्रेशन ऐसा होना चाहिए था, डायलॉग ऐसा होना चाहिए। बाकी, उनका मंत्र यह था कि अपने काम के प्रति जुनून में रहो और काम को इंजॉय करो। आपकी डेटिंग की खबरें आ रही हैं। अमिताभ बच्चन की नातिन के साथ आपके अफेयर की खबरों में कितनी सचाई है?नव्या एक्चुअली मेरी बहन की बेस्ट फ्रेंड हैं। दोनों न्यू यॉर्क में साथ में कॉलेज में हैं, तो वह मेरी काफी अच्छी दोस्त है। नव्या और मेरी पिक्चर्स जब पहली बार पपराजी ने खींची, तब हम फिल्म देखने गए थे, तब लोगों को यह भ्रम हो गया था कि हम डेट कर रहे हैं, लेकिन असल में मैं अभी सिंगल हूं।
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