फिल्ममेकर्स की फेवरिट बन चुकी हैं। करण जौहर की नेटफ्लिक्स फिल्म लस्ट स्टोरीज में वाहवाही बटोरने के बाद अब वह , गुड न्यूज, विक्रम बत्रा बायॉपिक, लक्ष्मी बॉम्ब और इंदू की जवानी जैसी दिलचस्प फिल्में कर रही हैं। यहां हमने कियारा से की यह खास बातचीत: 'लस्ट स्टोरीज' के बाद से आप हर जगह छाई हुई हैं। कितनी बदली है लाइफ? मैं बहुत बिजी हो गई हूं, जो अच्छी बात है। मैं लगभग हर रोज शूट कर रही हूं। जैसी फिल्में मैं करना चाहती थी, फाइनली अब वह मुझे मिल रही हैं। मैं यही करना चाह रही थी, तो मैं अपने करियर के काफी इंट्रेस्टिंग फेज में हूं। अब लोग मुझे ज्यादा पहचानने भी लगे हैं, तो वे भी मेरे पास आते हैं, मेरे काम की तारीफ करते हैं। ये सारी चीजें निश्चित तौर पर मोटिवेट करती हैं। मूवी रिव्यू: 'लस्ट स्टोरीज' आपके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। लेकिन क्या उस बोल्ड किरदार को लेकर पहले मन में कोई हिचक थी? नहीं, मेरे मन में बिलकुल भी हिचक नहीं थी और मुझे लगता है कि उसी वजह से वह फिल्म मेरे लिए चली और टर्निंग पॉइंट बनी, क्योंकि अगर मेरे मन में जरा भी हिचक होती, तो मैं एक ईमानदार परफॉर्मेंस न दे पाती। लोग क्या कहेंगे, मेरे दिमाग में ये बातें एक बार भी नहीं आईं। उस वक्त तो मेरे लिए बस यही था कि करण जौहर मुझे कॉल कर रहे हैं। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह नाम वाकई मेरे फोन पर फ्लैश कर रहा है? मैं बहुत एक्साइटेड थी। फिर करण काफी सेंसिटिव डायरेक्टर हैं। वह ऐसा कुछ नहीं बनाएंगे, जिससे लोग अपसेट हों। इसीलिए जब लोगों ने फिल्म देखी, तो सभी ने इंजॉय किया। उसमें कुछ भी वल्गर नहीं है। पिछले इंटरव्यू में आपने आउटसाइडर होने की बात कही थी, अब आपको लगता है कि करण के रूप में एक मेंटॉर मिल गया है?जी, 'लस्ट स्टोरीज' के बाद मैं निश्चित तौर पर यह कह सकती हूं कि करण ऐसे शख्स हैं, जिनसे मैं हर छोटी-बड़ी चीज के लिए सलाह लेती हूं। जैसे प्रमोशन के टाइम क्या पहनूं? या कौन सी फिल्म साइन करूं? मैं मानती हूं कि वे जो भी मुझसे कहते हैं, एक दोस्त, एक मेंटॉर के तौर पर दिल से कहते हैं, इसलिए मैं उनकी बातों को बहुत सीरियसली भी लेती हूं। इधर, 'कबीर सिंह' में आपकी और शाहिद की केमिस्ट्री की भी चर्चा है। यह बॉन्डिंग कैसे बनी?हमारी बॉन्डिंग खाने पर हुई। हालांकि, शाहिद वेजिटेरियन हैं और मैं नॉन वेजिटेरियन, लेकिन मुझे वेज खाना बहुत पसंद है। हम दोनों का खाना काफी एक जैसा होता है। दोनों को घर का नॉन ऑयली खाना पसंद है। कुछ लोग जैसे पिज्जा देखकर खुश हो जाते हैं, हम लौकी और भिंडी देखकर खुश हो जाते हैं। मैं ऐसे किसी और इंसान को नहीं जानती, जो लौकी देखकर खुश होता है। मुझे लगता था कि सिर्फ मैं ही ऐसी हूं, पर मुझे शाहिद के रूप में एक और ऐसा साथी मिला है, जिसे लौकी, कद्दू, भिंडी यह सब चीजें पसंद हैं। उस पर हमारी बहुत बॉन्डिंग हुई। बाकी वह बहुत ईमानदार ऐक्टर हैं, हमारे बीच एक नैचरल केमिस्ट्री हो गई। हमें कोशिश करने की जरूरत नहीं पड़ी। वैसे अक्षय कुमार के साथ भी आपकी काफी अच्छी बॉन्डिंग हो गई है। वह आपकी पहली फिल्म 'फगली' के निर्माता थे। 'गुड न्यूज' में आपने साथ में काम किया और अब 'लक्ष्मी बॉम्ब' में उनके अपॉजिट। क्या कहना चाहेंगी? मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि यह सब हो रहा है। मतलब वह मेरी पहली फिल्म के प्रड्यूसर थे। उनकी वजह से मैं इस इंडस्ट्री में हूं, तो सबसे पहले तो मुझे उनके प्रति बहुत सम्मान है। वह बहुत ही अनुशासित इंसान हैं। वह वक्त की कद्र करते हैं और मैं प्रफेशनलिज्म के मामले में उनके जैसा बनना चाहूंगी। वह काफी कमिटेड ऐक्टर हैं। उनके सेट पर बैठकर ही इतना कुछ सीखने को मिलता है। मैं खुशकिस्मत हूं कि 'गुड न्यूज' के बाद मुझे दोबारा उनके साथ काम करने का मौका मिल रहा है। अक्षय सर के साथ कॉमिडी करना बहुत ही मजेदार होता है। 'कबीर सिंह' के अलावा 'शेरशाह' में भी काफी दिल छू लेने वाली लव स्टोरी है?यह इतनी फिल्मी लव स्टोरी है कि मुझे यकीन ही नहीं होता कि सच में दोनों के बीच ऐसा हुआ था। यह उन चंद फिल्मों में से है, जिसकी कहानी सुनकर मैं रोने लगी थी। मैं उनसे (विक्रम बत्रा की गर्लफ्रेंड) मिली हूं, वह बहुत ही स्वीट हैं। हम विक्रम बत्रा के पैरंट्स, उनके भाई से भी मिले। भारत में लोग उनकी शहादत को गर्व से याद करते हैं। वह रियल हीरो थे, तो आप जब यह किरदार करते हैं, तो अच्छा लगता है कि हमें यह कहानी सुनाने का मौका मिल रहा है। वैसे, आपकी और सिद्धार्थ की लव स्टोरी की काफी खबरें हैं। उसमें कितनी सच्चाई है?कुछ सच्चाई नहीं है। मैं बहुत सिंगल हूं। कई बार इतनी अफवाहें आती रहती हैं कि अब हमारे लिए यह नॉर्मल हो गया है कि अच्छा, आज क्या नया है? पहले-पहले जब किसी को-स्टार के साथ मेरे लिंकअप की खबरें आती थीं, तो मुझे नहीं अच्छा लगता था। मुझे लगता था कि ऐसा कैसे लिख सकते हैं, मुझे बुरा लगता था। अभी कुछ फर्क नहीं पड़ता। आप खुद किसी ऐसे लड़के के प्यार में पड़ सकती हैं?मैं उम्मीद करती हूं कि कोई मुझे इतना प्यार करे। हालांकि, मेरे हिसाब से एक रिलेशनशिप में दो लोगों को बराबर होना चाहिए। कबीर और प्रीति के बीच चूंकि सीनियर-जूनियर वाला रिश्ता भी होता है, शायद इसलिए ऐसा नहीं है, पर प्रीति को अच्छा लगता है कि कबीर उसे प्रॉटेक्ट करे। वह उसकी कंपनी में सेफ महसूस करती है, लेकिन उसमें भी एक ग्राफ है। मुझे लगता है कि प्रीति ज्यादा स्ट्रॉन्ग है, वह शांत रहती है, लेकिन जब वह बोलती है, तो खतरनाक बोलती है। कबीर सिंह में आप एक ऐसी लड़की का रोल कर रही हैं, जो एक वॉयलेंट, डॉमिनेटिंग लड़के से प्यार करती है। कोई लड़की ऐसा प्रेमी क्यों चाहेगी?दुर्भाग्यवश, सच बात यह है कि लड़कियों को ऐसे बैड बॉयज ही पसंद होते हैं, कम से कम क्रश के तौर पर। फिर, कबीर बेवजह विद्रोही या रेबेल विदाउट अ कॉज नहीं है। वह पागलों जैसा वॉयलेंट नहीं है। वह बहुत नॉर्मल है। हां, वह पागल बन जाता है, जब प्रीति उसकी जिंदगी में नहीं होती है, लेकिन उसका प्रीति के लिए प्यार बहुत सच्चा है, जो प्रीति को दिखता है। हां, उसमें कमियां हैं, पर कमियां सभी में होती हैं। कोई भी परफेक्ट नहीं होता है। फिर, एक मौके पर प्रीति उसे छोड़ ही देती है न, एक पॉइंट पर वह स्टैंड लेती है।
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