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तीन साल पहले सोशल मीडिया के जरिए काम की तलाश करने वाली ऐक्ट्रेस इन दिनों सुपर बिजी हैं। हाल ही उनकी फिल्म '' आई है, तो अगली फिल्म टशुभ मंगल ज्यादा सावधान' रिलीज होने वाली है। इधर, उनके स्टाइलिश लुक की भी खूब चर्चा है। हाल ही में जब उनसे मुलाकात हुई, तो वह अपने नए हेयरकट को लेकर खासी एक्साइटेड दिखीं, ऐसे में बातचीत की शुरुआत भी उनके नए लुक से ही हुई, जो करियर, इंडस्ट्री के स्टीरियोटाइप्स और जिंदगी के कुछ अनछुए किस्सों तक पहुंची: एक टाइम पर आपने ट्वीट करके काम की तलाश की थी। सोशल मीडियारूपी इस नए माध्यम के बारे में क्या राय हैं?देखो, मुझे तो फायदा ही हुआ है, लेकिन मुझे यह भी अहसास हुआ है कि यह बहुत खतरनाक भी है। आपको इसे बहुत स्मार्टली इस्तेमाल करना चाहिए। आप कभी इमोशन या गुस्से में कुछ लिख देते हैं, जिसका लोग दूसरा मतलब निकाल सकते हैं, आप किसी को दुख पहुंचा सकते हैं। इसलिए, इसे सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिए। ये नहीं कि रात को एक बजे आपको कुछ हुआ, आप डिस्टर्ब हुए, आपने कुछ डाल दिया, फिर सुबह आप पछताते रहिए, लेकिन वह तो गया। जैसे, जो मैंने 'सांड की आंख' के लिए बोला, मुझे बाद में लगा कि यार, मैं अपनी दोस्त को बता देती न, सोशल मीडिया में डालने की क्या जरूरत थी? बात का बतंगड़ बन गया। ऐसी एकाध गलतियों के बाद मैं अब केयरफुल रहती हूं। आप फिल्म इंडस्ट्री में क्या बदलाव पाती हैं। आपको लगता है कि अब मेन लीड और करैक्टर आर्टिस्ट्स के बीच की खाई कम हुई है?हां, डिजिटल प्लैटफॉर्म की वजह से अलग-अलग तरह की फिल्में हिट हो रही हैं, जिसकी वजह से हम जैसे उम्र के लोगों को भी अच्छा काम मिल रहा है। मुझे मिला भी है और मुझे लगता है कि अभी और बेहतर काम मिलेगा। जो मेरिल स्ट्रीप करती हैं, वह हम भी कर सकते हैं, लेकिन हमारा समाज वैसा नहीं है, इसलिए कहानियां भी वैसी नहीं लिखी जाती हैं। जब हमारी लेडीज बदलेंगी, समाज बदलेगा, तो वैसी कहानियां भी लिखी जाएंगी, लेकिन उसमें बहुत टाइम लगेगा। मैं कई बार सोचती हूं कि सपोर्टिंग रोल का क्या मतलब होता है? मेन रोल मतलब लंबा रोल... एक चार सीन वाला रोल मेन रोल क्यों नहीं हो सकता है? ये धारणा बन गई है कि जो यंग हीरो-हीरोइन हैं, वे मेन लीड हैं और करैक्टर आर्टिस्ट वाला सपोर्टिंग रोल है, लेकिन बेस्ट ऐक्टर को हीरो-हीरोइन से क्यों कंपेयर करते हैं? बेस्ट ऐक्टर तो जो सबसे अच्छी ऐक्टिंग करे, वह होना चाहिए, चाहे उसने एक सीन किया हो। ऐसा मैं सोचती हूं, लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं सोचा जाएगा। (हंसती हैं) इंडस्ट्री में ऐसे स्टीरियोटाइप्स तो हैं, मसलन आप भी लगातार सिर्फ मां के ही रोल कर रही हैं?हां, मां ही बन रही हूं अभी तो, आने वाले टाइम में कई और माओं के रोल में दिखूंगी। (हंसती हैं), जैसे मैंने कहा न, जब सोसायटी बदलेगी, तभी अलग रोल लिखे जाएंगे। सोसायटी में जैसी ओल्ड विमिन हैं, वैसे ही रोल लिखे जा रहे हैं। हमारे यहां थोड़ी उम्रदाराज वुमन और उसका पति रोमांटिक हॉलिडे पर जाते हैं। मैं मेरी उम्र से पांच साल छोटे आदमियों की मां का रोल कर रही हूं। किसी ने मुझसे पूछा कि आप किसके ऑपजिट काम करना चाहेंगी, तो मैंने कहा कि रितिक रोशन। अगर वह अपने से आधी उम्र की लड़की के साथ रोमांस कर सकता है, तो मैं अपनी आधी उम्र के लड़के के साथ क्यों नहीं पति-पत्नी का रोल कर सकती हूं? अब अक्षय कुमार की उम्र क्या है? (हंसती हैं) और ये बाकी सारे जो कर रहे हैं। बस, हम अपने से आधी उम्र के लड़के के साथ नहीं कर सकते, क्योंकि समाज ऐसा नहीं है। आप राइटर हैं। क्यों नहीं ऐसी कहानी लिखतीं? अपनी जिंदगी पर किताब लिखने का प्लान है?मैं अभी 'सांस 2' लिख रही हूं। जल्द ही मैं वैसा कुछ बनाऊंगी। रही बात खुद पर किताब लिखने की, सोच तो रही हूं, लेकिन कोई सहयोगी नहीं मिल रहा है। मैं चाहती हूं कि कोई मेरे जैसा हो। मैं बहुत दुखभरी कहानी नहीं लिखना चाहती हूं, मैं हंसी-खुशीवाली लिखना चाहती हूं। ऐसा कोई मुझे अभी मिला नहीं है। आजकल आपके नए लुक और स्टाइल की काफी चर्चा है। इसका क्या राज है?मैं हमेशा से फैशन कॉन्शस रही हूं। जवानी से ही मैं ऐसे कपड़े पहनती रही हूं, लेकिन तब किसी ने ध्यान नहीं दिया, क्योंकि तब सोशल मीडिया था नहीं और मैं सोशली बहुत ऐक्टिव भी नहीं थी, न मेरी कोई फिल्म इतनी हिट हुई थी कि मुझे कहीं बुलाया जाए, तो लोगों को इसके बारे में पता नहीं था, सिर्फ मेरे दोस्तों को पता था। मैं हमेशा से काफी टाइम लगाती हूं, यह सोचने में कि क्या पहना जाए। मुझे कपड़ों, जूलरी वगैरह की बहुत शौक है। मेरी मां गांधीवादी थीं, तो खादी के कपड़े पहनती थीं, उस जमाने में मुझे देखकर वह कहती थीं कि मेरा बच्चा हॉस्पिटल में बदल गया, क्योंकि मैं बहुत फैशनेबल थी। आप हमेशा से अपनी शर्तों पर जीने वाली स्ट्रॉन्ग महिला रही हैं। आपके लिए फेमिनिजम क्या है?क्या है फेमिनिजम? मुझे नहीं पता। औरत की कोई इज्जत तो करता नहीं है, फेमिनिजम बोलते रहते हैं। जो बोलते हैं, वे घर में औरत की कितनी इज्जत करते हैं, मैं जानना चाहती हूं। फेमिनिजम कुछ नहीं है, बकवास है सब। मैं स्ट्रॉन्ग हूं, ये आप ये कैसे कह सकती हैं, आपको पता ही नहीं है कि मैंने क्या सहा है? आप तो सिर्फ मेरी मीडिया इमेज के हिसाब से मुझे जानते हैं, लेकिन असल में मुझे कौन जानता है? वह तो मैं अपनी जिंदगी पर किताब लिखूंगी, तभी कोई जान पाएगा, उसमें भी मैं कुछ चीजें नहीं बताऊंगी। इसलिए, कौन जानता है कि किसी ने मेरे साथ क्या धोखा किया? मेरे बॉयफ्रेंड ने कैसे टॉर्चर किया, कोई जानता है? मुझ पर डोमेस्टिक वॉयलेंस हुई, कोई जानता है? नहीं जानता है, तो मैं भी किसी दूसरी औरत की तरह हूं, सिर्फ ये है कि सारी तकलीफों के बावजूद मैं आगे बढ़ जाती हूं। ये नहीं कि मैं शराब या ड्रग्स में चली गई या किसी से भी शादी कर ली, वरना मेरे साथ बहुत बुरी चीजें हुई हैं। मैं आपको एक उदाहरण देती हूं। काफी पहले की बात है। एक आदमी की पहले से एक गर्लफ्रेंड थी और उसको मुझमें भी इंस्ट्रेस्ट आ गया। मुझे भी उससे प्यार हो गया, प्यार या जो भी होता है उस वक्त, उसने मुझसे कहा कि अगर 16 तारीख तक अगर उस लड़की के पिता ने हां नहीं की, तो मैं तुमसे शादी कर लूंगा और मैंने उसका इंतजार किया। इससे ज्यादा बेवकूफ औरत कोई हो सकती है? तो प्लीज, मेरी तरह मत बनिए।


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