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भोजपुरी सिनेमा में एक वह भी दौर था, जब पूरा परिवार एक साथ थिअटर में फिल्म देखने जाता था। पारिवारिक फिल्में और लोकप्रिय धुनों पर बनीं कर्णप्रिय गीतें महीनों तक लोगों को याद रह जाती थीं। फिर धीरे-धीरे मल्टिप्लेक्स का जमाना आया। महिलाओं का छोटे थिअटर्स तक जाना बंद हुआ और यह वह दौर था जब अश्लील भोजपुरी गाने तैयार होने लगे। इसी दौर में उन गीतों के साथ आए, जो परिवार के लोग एक साथ बैठकर सुन सकते थे। मनोज तिवारी के गीत दिल में जगह बनाने लगे। मनोज तिवारी धीरे-धीरे भोजपुरिया समाज में गायक के रूप में सबसे बड़ा चेहरा बन गए। मनोज तिवारी से बदलाव की शुरुआत बस फिर क्या था भोजपुरी सिनेमा को जिस चेहरे की जरूरत थी, शायद वह मिल चुका था। 2004 का यह दौर था। भोजपुरी में सिर्फ रवि किशन ही एकमात्र युवा अभिनेता थे, जो कि हिंदी और भोजपुरी दोनों में बराबर छाए थे। इस बीच सुधाकर पांडे ने मनोज तिवारी पर दांव चला। 'ससुरा बड़ा पईसवाला' फिल्म के जरिए यह दांव काफी हद तक भोजपुरी सिनेमा को भी फिर से उभारने में सफल रहा। मनोज और रानी की जोड़ी ने मचाया तहलका रानी चटर्जी तब बिल्कुल नई थीं। मनोज और रानी के इस फ्रेश जोड़ी ने तहलका मचा दिया। इस फिल्म ने उस समय के सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए। मनोज तिवारी अब भोजपुरी के सुपरस्टार बन चुके थे। रानी भी इसी फिल्म से रातोंरात हिट हो गईं। अजय सिन्हा भी फिल्म का निर्देशन कर अचानक सुर्खियों में आए। इस ट्रेंड पर यह बोले कुणाल सिंह मनोज तिवारी ने अब भोजपुरी सिनेमा को वह नया ट्रेंड दे दिया था, जहां से गायकों के लिए भोजपुरी में आसानी होने लगी। मनोज के बाद दिनेश लाल यादव , लाल यादव, पवन सिंह, अरविंद सिंह अकेला कल्लू सहित बड़ी संख्या में गायक सीधे स्टार बन गए। भोजपुरी के महान ऐक्टर कुणाल सिंह कहते हैं, 'इसके बाद से भोजपुरी में गायक तेजी से स्टार बनने लगे। मैं इस ट्रेंड की आलोचना तो नहीं करूंगा लेकिन हां यह जरूर है कि जब कोई भी चीज अधिक हो जाती है तो फिर वहां गिरावट ही आती है। आज कंटेंट में गिरावट के पीछे यह भी एक कारण संभव है।' यामिनी सिंह की दो टूक ऐक्ट्रेस यामिनी सिंह भी साफ-साफ कहती हैं कि सिर्फ गायकों का उठकर सीधे स्टार बन जाना या हीरो बन जाने का ट्रेंड सही नहीं है। वह कहती हैं, 'वास्तव में ऐक्टर और सिंगर में काफी फर्क है। हां, निर्माताओं को इसका फायदा हो रहा है। पर, कुल मिलाकर अगर भोजपुरी सिनेमा का फायदा देखना है तो इस ट्रेंड को कम करना पड़ेगा। हालांकि दिनेश लाल निरहुआ जैसे कलाकार हैं, जो कि बेहतर ऐक्टर भी हैं, तो यह गलत भी नहीं है। पर, जिन्हें ऐक्टिंग नहीं आती, उन्हें सिर्फ गाने के दम पर हीरो बना देना उचित नहीं है।' कल्लू ने दी यह सफाई सिंगर से ऐक्टर बने अरविंद अकेला कल्लू कहते हैं, 'इसमें कोई गलत नहीं है कि एक सिंगर ऐक्टर बनना चाहे। अगर उसमें दम है तभी वह टिक पाएगा। अगर वह ऐक्टिंग अच्छा नहीं करता है तो कोई भी निर्माता उस पर पैसा नहीं लगाएगा। आज भोजपुरी में यह अच्छा है कि जो भी सिंगर ऐक्टर बने हैं, वास्तव में वे अच्छी ऐक्टिंग भी कर रहे हैं।' आज भोजपुरी सिनेमा में भी हो रहा प्रयोग मनोज तिवारी ने जो सफर शुरू किया अब वह एक नए मुकाम पर है। आज बड़ी संख्या में भोजपुरी गायक फिल्मों में हीरो का भी रोल करने लगे हैं। इसका क्या असर भोजपुरी सिनेमा पर पड़ता है, यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन फिलहाल भोजपुरी फिल्में इस समय अपने बेहतर दौर में जरूर हैं। जहां बड़ी संख्या में फिल्में बन रही हैं और नए प्रयोग भी हो रहे हैं।


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