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कश्मीरी पंडितों पर बनी विधु विनोद चोपड़ा की मच अवेटेड फिल्म '' रिलीज हो चुकी है। रिलीज होते है यह कॉन्ट्रोवर्सी से भी घिर गई है। दर्शक से क्रिटिक्स तक फिल्म को लेकर दो हिस्सों में बंट गए हैं। एक ओर लोगों को यह फिल्म खूबसूरत लगी वहीं दूसरी ओर लोगों का कहना है कि डायरेक्टर ने हकीकत नहीं दिखाई बल्कि फिल्म को कॉमर्शलाइज्ड कर दिया है। कुछ लोग तो फिल्म का कॉन्टेंट बायस्ड तक बता रहे हैं। लाल कृष्ण आडवाणी हुए इमोशनल फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग का एक विडियो डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने ट्वीट किया है। इस विडियो में बीजेपी लीडर लाल कृष्ण आडवाणी इमोशनल दिखाई दे रहे हैं। विधु ने उनका शुक्रिया अदा भी किया है कि उन्होंने फिल्म की तारीफ की। कश्मीरी पंडित महिला ने निकाला गुस्सा वहीं कश्मीरी पंडित कम्युनिटी की एक और महिला का विडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह उनकी फिल्म 'शिकारा' देखकर रो रही हैं और विधु विनोध चोपड़ा पर अपना गुस्सा निकाल रही हैं। महिला का कहना है कि विधु ने पूरे मामले को कॉमर्शलाइज्ड कर दिया है और मास रेप और मास मर्डर और उनके साथ हुई ज्यादती ये सब नहीं दिखाए। महिला कहती है कि विधु ने पॉलिटिक्स की है। आखिर में वह रो पड़ती हैं और बोलती हैं, एक कश्मीरी पंडित के तौर पर मैं आपकी फिल्म अस्वीकार करती हूं। विधु ने कही सीक्वल बनाने की बात महिला को शांत कराने के लिए विधु को कहते सुना जा सकता है कि इसके लिए वह सीक्वल बनाएंगे लेकिन महिला के रिऐक्शन को फिल्म के फर्स्ट हैंड रिव्यू के तौर पर लिया जा सकता है। फिल्म को लेकर 2 खेमे में बंटे लोग फिल्म की कहानी को लेकर क्रिटिक्स से लेकर दर्शक तक दो भागों में बंटे हैं। या तो लोगों को फिल्म बहुत पसंद आ रही है या फिर वे इसको अस्वीकार कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर फिल्म का बॉयकॉट भी ट्रेंड हो रहा है वहीं इसके सपॉर्ट में भी लोगों ने लिखा है। लोगों के हैं ये तर्क फिल्म देखने वाले लोगों का कहना है कि कश्मीरी पंडितों की असली दुर्दशा और इस पर हुई पॉलिटिक्स नहीं दिखाई गई। वहीं कुछ लोगों का तर्क है कि फिल्म के डायरेक्टर और प्रड्यूसर खुद कश्मीरी पंडित हैं, जो कि खुद श्रीनगर में पैदा हुए, उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा, वहीं फिल्म लिखी भी एक कश्मीरी पंडित ने है तो ऐसे में फिल्म को बॉयकॉट करना या बायस्ड होने का आरोप लगाना गलत है। वहीं विधु विनोद चोपड़ा का यह भी कहना है कि सच के 2 चेहरे होते हैं और एक ही मुद्दे पर लोगों की 2 तरह की राय हो सकती है। यह है कहानी फिल्म 'शिकारा' 1990 में कश्मीरी पंडितों के निकाले जाने के बैकड्रॉप पर बनी प्रेम कहानी है। कहानी फ्लैशबैक से शुरू होती है, जहां कश्मीर में अमन चैन था और खूबसूरत वादियों में कश्मीरी पंडित कवि और प्रफेसर शिव धर (आदिल खान) के मन में शांति (सादिया खान) के प्रति प्रेम पनपता है। शिव और शांति की शादी होती है और दोनों श्रीनगर में 'शिकारा' में रहने लगते हैं। तभी अलगाव की चिंगारी फूटती है जिसके बाद शिव और शांति सहित लाखों कश्मीरी पंडितों को अपने घर से बेघर होने पर मजबूर कर दिया जाता है। इस संघर्ष में शिव और शांति के कई अपने खो जाते हैं। वे जम्मू के रिफ्यूजी कैंप में रहते हैं और 30 साल तक न्याय की आस में संघर्षों के बीच इस उम्मीद में बिता देते हैं कि एक दिन वे अपनी 'शिकारा' पर वापस लौटेंगे।


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