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इंडस्ट्री के ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने अलग लुक्स के बावजूद अपने अभिनय कौशल के बल पर न केवल अपनी खास जगह बनाई बल्कि के हकदार भी बने। इन दिनों वह चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म को लेकर। इस मुलाकात में वह फिल्म, अपने डर, सफलता, देश के मुद्दों के अलावा कटरीना कैफ के बारे में भी खुलकर बात करते हैं: भूत जैसी हॉरर फिल्म करना रिस्क था?बिलकुल, मुझे आज भी लगता है कि यह फिल्म मेरे लिए रिस्क है, मगर मुझे लगा कि आज का जो दौर है, वह रिस्क लेने वाला है। अगर आज रिस्क नहीं लिया गया, तो वह दौर बदल जाएगा। आज हम से लोग चाह रहे हैं कि हम उन्हें कुछ नया दिखाएं, कुछ एक्स्पेरिमेंट करें। वह रिस्क फैक्टर चले या न चले वह हमारे कंट्रोल में नहीं है। पर आप अपना काम शिद्दत से करें। शुक्रवार को क्या होगा? वह तो दर्शक ही जान सकता है, क्योंकि वही राजा है। भूत की स्क्रिप्ट पढ़ने के पहले तक मैं नहीं जानता था कि मुझे हॉरर जॉनर करना चाहिए या नहीं? निर्देशक भानु प्रताप सिंह हॉरर जॉनर के बहुत शौकीन हैं, इसलिए मुझे लगा कि मेरा डायरेक्टर इस जॉनर के लिए जुनूनी है, तो वह न केवल इसे निभा लेगा बल्कि मुझे गाइड करेगा। आप भूत-प्रेत में कितना मानते हैं?मेरे साथ एक अजीब-सी बात है। जब तक मुझे डर नहीं लगता, तब तक मैं भूत में नहीं मानता हूं, लेकिन जैसे ही डर लगना शुरू हो जाता है, मैं उन पर विश्वास करने लगता हूं। मैं कई बार स्लीप पैरालिसिस का शिकार हुआ हूं। पहले इस बात से घबरा गया था। फिर जब मैंने इसके बारे में पढ़ा, तब पता चला कि इसके पीछे साइंटिफिक वजह है। जब आप जरूरत से ज्यादा थक जाते हैं, तब आप आधी रात में जाग जाते हैं, आपका दिमाग पूरा चैतन्य रहता है, लेकिन शरीर सोया होता है। इस दौरान आपको लगता है कि आपके उपर कोई बैठा हुआ है और आपकी आवाज भी नहीं निकलती है। वह बड़ा डरावना अनुभव होता है। अभी कुछ दिन पहले मैं अमृतसर में शूट कर रहा था, तब मुझे 3 दिन तक डरावने सपने आ रहे थे कि मुझे कोई मार रहा है। ऐसे अनुभवों के बाद आप सोचने लग जाते हैं कि कुछ गडबड़ है क्या? आपको जब डर लगता है, तो आप क्या करते हैं?मैं उस वक्त हनुमान चालीसा पढ़ता हूं। वही हमारे सुपर हीरो हैं और वह सारा डर मिटा देते हैं। नैशनल अवॉर्ड पाने और बॉक्स ऑफिस पर सफल फिल्में देने के बाद क्या आपके काम ने आपको इतनी ताकत दी है कि आप अपनी अपने मन मुताबिक़ रोल चुनकर अपनी प्राइज मनी की मांग कर सकें?बिलकुल ताकत दी है। चाहे वह लोगों का प्यार हो या दूसरे निर्देशकों का मुझ पर भरोसा हो और या फिर प्रड्यूसर्स का मेरे साथ रिस्क लेना। आपको यहां आपके पिछली फिल्म से ही आंका जाता है। मेरी पिछली फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की है और मुझे इस बात की खुशी है, मगर मैं यही सोच लेकर चलता हूं कि हर फिल्म के साथ यह बदलेगा और कभी एक जैसा नहीं रहेगा। मुझे तो अपनी मेहनत को करते जाना है। फैंस कहते हैं कि आपने स्टार-सिस्टम में सेंध लगा दी है, इस पर क्या कहेंगे?हमारी इंडस्ट्री में राइटर्स को और अहमियत मिलनी चाहिए। हालांकि कुछ हद तक यह होने लगा है। हम ऐक्टर्स की सफलता में नए राइटर्स और डायरेक्टर्स का बड़ा हाथ है। इन्हें भी मौका मिल रहा है, तभी तो ये नए प्रयोग कर पा रहे हैं। फिर दर्शकों ने हमें यह ताकत दी है कि हम नए राइटर्स, डायरेक्टर्स पर भरोसा करें और फिल्में बनाएं। हमारा इरादा कभी यह नहीं होता है कि अब हम अलग तरीके का स्टारडम लेकर आएंगे। बल्कि वह अपने आप ही हो जाता है। हमें तो हमारी फिल्म और हमारा काम ही यह ताकत देता है। हम ऐक्टर्स का काम ऐक्शन और कट के बीच में ही होता है और हमें वह सचाई से निभाना पड़ता है। मुझे लगता इसका श्रेय हमारे राइटर्स को जाना चाहिए। आपको अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है ऐक्टिंग करते, राष्ट्रीय पुरस्कार पाकर कुछ अलग महसूस करते हैं?मुझे लगता है कि मैंने जितना सोचा था, ऊपर वाला मुझ पर उससे ज्यादा मेहरबान हो रहा है। नैशनल अवॉर्ड मिलने पर मैं तो हैरान हो गया था। ऐसे सपने देखने में भी आपको कई साल लग जाते हैं। मेरे करियर की शुरुआत में नैशनल अवॉर्ड मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। ऊपर वाला सच में बहुत मेहरबान है। लेकिन इसे मैं सिर्फ दिल पर लगाना चाहता हूं, दिमाग पर नहीं। आज देश में जो कुछ चल रहा है, उन मुद्दों पर आप क्या कहना चाहेंगे?मुझे क्या हो रहा है? से ज्यादा चिंता इस बात की है कि कैसे हो रहा है? लोकतंत्र की निशानी यही है कि हर मुद्दें पर दो पक्ष होंगे, कुछ उसके विरोध में होंगे और कुछ उसके समर्थन में। इस वक्त लोग सड़कों पर बंदूक लेकर आ रहे हैं, लोंगों के सिर फट रहे हैं। यहां तक कि पुलिस पर भी वार हो रहे हैं। ये चीजें चिंतित करती हैं। आप एनआरसी और CAA के पक्ष में हैं या विपक्ष में?मैं इस विषय पर हर रोज नए आर्टिकल पढ़ता रहता हूं। लोग आपको एक नाम और एक दर्जा देते हैं। अगर आप किसी चीज पर अपनी राय देते हैं, तब वह एक बयान बन जाता है। आप वह बयान देकर यह नहीं कह सकते कि अब मेरी राय बदल गई है। मेरे पास वह विलासिता नहीं है जो आम लोगों के पास है कि आप कुछ भी कह दें। देश के नागरिक और पब्लिक फिगर होने के नाते आपको पहले सभी पहलुओं को जान लेना चाहिए फिर उस पर कॉमेंट करना चाहिए। कटरीना और आपके लिंक अप्स की खबरों में कितनी सच्चाई है?मैंने पिछले साल यह सीखा कि अपनी पर्सनल लाइफ को कुछ हद तक गार्ड करके रखना चाहिए। मैं हर चीज को लेकर ओपन था। फिर मुझे अहसास हुआ कि लोगों को साम्रगी मिल जाती है और उसमें अपनी कहानियां जोड़ देते हैं। जो लोगों तक पहुंचते ही पूरी बदल जाती है। फिर हम सफाई देने लगते हैं। उसमें बड़ा समय लग जाता है और हमारे काम पर असर पड़ता है। मुझे लगता जब तक सही समय न हो उसके बारे में चर्चा नहीं करनी चाहिए। हम उसे बारे में जरूर बताएंगे लेकिन चर्चित रहने के लिए ही नहीं बोलना चाहिए।


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