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बेबाक हैं, बेधड़क हैं, साथ ही प्रतिभा की धनी भी। 'केदारनाथ' और 'सिंबा' जैसी फिल्मों में उन्होंने खुद को मनवाया है, तो उनकी '' रिलीज को तैयार है। हमसे मुलाकात में वह तमाम पहलुओं पर दिल खोलकर बात करती हैं : आपके ऊपर आपके माता या पिता में से किसका प्रभाव ज्यादा है?मैं अपने पिता से बहुत प्यार करती हूं, लेकिन मैं अपनी मां का नाम लूंगी, क्योंकि वह एक सिंगल पैरंट हैं और मैं उनके साथ रहती हूं। वह मेरे लिए उतनी ही प्रेरणादायक हैं, जितनी वह मेरी ताकत हैं। वह मेरी दोस्त भी हैं। मैं यही कहूंगी कि मेरी मां ही मेरी जिंदगी है। क्या आपको कभी इस बात का अफसोस होता है कि आपके माता-पिता साथ नहीं रहे? वे अगर साथ होते, तो आपकी जिंदगी कुछ और होती?मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं कि वे दोनों साथ नहीं हैं। मुझे नहीं लगता है कि अगर दो लोग एक-दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते, तो उनका साथ रहना जरूरी है। लोग अक्सर कहते हैं कि हम एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं, लेकिन हम अपने बच्चों के लिए एक साथ रह रहे हैं। यह सोच मुझे बिलकुल समझ ही नहीं आती। अगर आप ही खुश नहीं हैं, तो आप अपने बच्चों को कैसे खुश रख पाएंगे? जैसे हवाई जहाज में कहा जाता है कि पहले आप अपना मास्क पहनें फिर दूसरे की सहायता करें। आप खुद घुटन से जी रहे हैं, तो अपने बच्चे को मास्क कैसे लगाएंगे? आज मेरे पास एक घुटन भरे घर के बजाए दो खुशहाल घर हैं, तो मैं बहुत खुश हूं। एक अभिनेत्री या एक लड़की के रूप में आपकी जिंदगी का सबसे गर्वभरा अनुभव क्या रहा है?फिल्म 'केदारनाथ' की रिलीज से पहले ही मुझे लोगों से बहुत प्यार मिला था। लेकिन वह प्यार जायज प्यार नहीं था। वह प्यार मुझे मेरे बैकग्राउंड की वजह से मिला। मगर जब मेरी फिल्में रिलीज हुईं और मुझे मीडिया ने उतना ही प्यार दिया, तो मुझे अच्छा भी लग रहा था, क्योंकि वह मेरा कमाया हुआ प्यार था। वह प्यार मुझे जायज लगा। दर्शकों ने जब मुझे अपने सिर आंखों पर बैठाया, तो मैं गदगद हो गई। मेरे लिए इंडस्ट्री और परिवार दोनों बहुत अहम हैं, लेकिन मैं समझ गई हूं कि अव्वल दर्जे पर दर्शक और दूसरे नंबर पर मीडिया है। उन लोगों को खुश करना ही मेरी ताकत है। मैं अगर कोई बुरा शॉट भी दूं, तो मेरी मां और घरवाले तो तारीफ करेंगे ही न? मगर सच्ची तारीफ या आलोचना मुझे दर्शक से मिलेगी। मेरे लिए उन्हीं का प्यार अहम है। आप लड़की होने के नाते हीनता का शिकार होती हैं? अक्सर ट्रोल्स प्रियंका के गाउन को बुरा भले कह देते हैं, कभी किसी को मोटी-काली का टैग लगा देते हैं। आप क्या कहेंगी इस पर?मैं हीनता का शिकार नहीं होती। मैं बहुत ही प्रैक्टिकली सोचती हूं। मैं उस कमेंट करनेवाले को जिसने प्रियंका चोपड़ा जोनस के गाउन पर कुछ कहा है या जिसने मुझे मोटा कहा है, मैं उसे नहीं रोक सकती हूं। क्या मैं उसे रोकना चाहती हूं? बिलकुल रोकना चाहती हूं। पर क्या मैं ऐसा कर सकती हूं? नहीं। हां, मैं हीनता महसूस करूं, तब भी आप मुझे मोटा और मुंहफट बुलाएंगे। यही कि मैं नकारात्मक बातों को खुद से दूर रखती हूं। इससे ज्यादा और कुछ करने की मेरी औकात ही नहीं है। मैं और क्या उखाड़ सकती हूं? आप अगर मेरे कंस्ट्रक्टिव या पॉजिटिव कहें, तो मैं उस पर अमल करके खुद में बदलाव हूं, लेकिन आपने मुझे नीचा दिखाने के लिए कहा है, तो मैं आपको जीतने नहीं दूंगी। इन दिनों महिला सशक्तिकरण का नारा बुलंदी पर है। आपके लिए वुमन एम्पावरमेंट क्या है?मुझे लगता है इस पहलू पर हमें सशक्त होते जाना चाहिए। हमें अपनी बात बुलंद करनी चाहिए, जो हम लगातार कर रहे है, मगर मैं समझती हूं कि एम्पावरमेंट हमारे अंदर होनी चाहिए। आपके अलावा और किसी की भी औकात नहीं है, आपको एम्पावर कर सके। आपके अंदर की आवाज को जगाने का कर्तव्य आपको ही पूरा करना होगा। वह ताकत आपके अंदर बसी है। लोग वुमन एम्पावरमेंट को सेलिब्रेट करते हुए आपकी मदद जरूर कर सकते हैं, मगर आपको आपके अलावा कोई और एम्पावर नहीं कर सकता है। आपकी इमेज बहुत ही बेबाक और प्रो-ऐक्टिव लड़की की है, जबकि लड़कियों के बारे में कहा जाता है कि उन्हें अपने आस-पास कवच बना कर रखना चाहिए?आप सही कह रही हैं। मैं बहुत सारी बातें बिना उसका अंजाम सोचे बोल देती हूं। असल में मैं हंसी-मजाक में कुछ भी बोल देती हूं, उसका प्रभाव मुझे बोलने से पहले पता नहीं होता है। जैसे अगर मैंने 'कॉफी विद करण' में कह दिया कि मुझे पर क्रश है, तो मुझे कभी नहीं लगा था कि उसके 1 साल और 3 महीने बाद भी मुझसे यही पूछा जाएगा। शायद मेरा बेधड़क होना एक अच्छी बात भी नहीं है, क्योंकि यह आपको कहीं न कहीं आपके काम से डिस्ट्रैक्ट करता है। क्यों लोग मुझे एक ऐक्टर नहीं बल्कि उस नजरिए से देखें? क्यों मेरी इमेज वैसी हो? मेरी सच्चाई यह है कि मेरे लिए मेरा करियर सबसे ज्यादा अहम है। सच्चाई यह भी है कि फिल्म के सेट पर सारा और कार्तिक नहीं जोई और वीर थे। लेकिन यह बात समझाना इतना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि में मुंहफट हूं और कहीं भी कुछ भी बोल देती हूं। मैं बुरा नहीं मानती, जब कोई पत्रकार मुझसे रोक कर यह पूछ ले कि मेरे और कार्तिक के बीच क्या चल रहा है? यह मेरी वजह से ही है। फिर शायद वह भी बुरा नहीं मानेंगे, अगर मैं उनके हर सवाल का जवाब न दूं। हर चीज के लिए एक जगह होती है। 'कॉफी विद करण' एक ऐसी जगह है, जहां आप हंसी-मजाक की बातें करते हैं। अगर आप उस शो में कही हुई बात को दुनिया का सबसे बड़ा सच मान लिया जाए, तो थोड़ी दिक्कत हो जाएगी।


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